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यादों के झरोखे से लेखनी कहानी मेरी डायरी-14-Nov-2022 भाग 14

                    मेरी डायरी  भाग  १4

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       इस बार भी हम भीड़ देखकर डर रहे थे क्यौकि हमारे साथ दो छोटे बच्चे थे। बाँके बिहारी जी के मन्दिरमें हमने बहुत कठिनाई से दर्शन किये  चलो मन में शान्ति हुई कि इस बार हम बिना दर्शन के नही जारहे है़ 

      बाँके बिहारी जी का दर्शन देने का धन्यवाद किया। अब हमने वृन्दावन मे दूसरे मन्दिरौ की तरफ भी  प्रस्थान किया।

वृन्दावन में जाने से पहले एक बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि वहाँ बन्दरौ से बचने के लिए अपना चश्मा उतारकर जेब में रखना होता है एवं हाथ में कोई भी खाने पीने का सामान नहीं होना चाहिए।

     यदि आपके हाथ में कुछ भी खाने पीने का सामान है अथवा आपके मुँह पर चश्मा लगा हुआ है तब समझो वह गया। आप उसकी कैसे भी रक्षा नहीं कर सकते हो।

     इसी भय से मैने अपना चश्मा उतारकर अपनी जेब के हवाले कर लिया। इसके बाद हम निधिवन पहुँचे। वहाँ घूम रहे थे हमारी पत्नी के हाथ में बच्ची की दूध पीने की बोतल थी उस बोतल को अपनी साडी़ से छिपा लिया था।

       परन्तु न जाने बन्दर की नजर पड़ गयी और वह बोतल  हमारी पत्नी के हाथ से छीनकर लेगया। और उस बोतल को खोलने की कोशिश करने लगा।

      बन्दर से जब वह नहीं खुलीतब उसने बोतल को तोड़ना शुरू कर दिया। हम सभीने उसकी तरफ केला भी फैके  परन्तु वह नही माना और उसने बोतल को तोड़ डाला।

     अब हम सावधान होगये थे। इस तरह हमने निधी बन में दर्शनीय स्थानौ को देखा और वहाँ से  और मन्दिरौ के दर्शन करने हेतु चल दिये इसके बाद हमने प्रेम मन्दिर  पहुँच कर वहाँ दर्शन किये।

      प्रेम मन्दिर बहुत ही सुन्दर बना हुआ है। वहाँ पहुँचकर मन को शान्ति मिलती है। इस तरह हमने वहाँ और भी  मन्दिरौ में जाकर दर्शन किये और अपनी गाडी के पास पहुँचकर  वापिस गुरूग्राम की तरफ जाने का प्रोग्राम बना लिया।

           आगे की यात्रा का वर्णन अगले भाग में पढि़ये।

यादों के झरोखे से २०२२

नरेश शर्मा " पचौरी "

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5 Comments

Radhika

05-Mar-2023 08:23 PM

Nice

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shweta soni

03-Mar-2023 10:16 PM

Nice

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अदिति झा

03-Mar-2023 02:34 PM

Nice 👍🏼

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